सार……..
⭕ महावीर स्टडी इस्टेट सीनियर सेकेंडरी कॉलेज में फूलों की बगिया से महक रही प्रेरणा की खुशबू।
⭕ विद्यालय परिसर में लगे हैं 125 प्रजातियों के पौधे।
विस्तार…….
रजनीकांत अवस्थी
महराजगंज/रायबरेली: कस्बे के हैदरगढ़ रोड पर स्थित महावीर स्टडी इस्टेट सीनियर सेकेंडरी कॉलेज परिसर में सुसज्जित 125 प्रजातियों के पौधे न सिर्फ विद्यार्थियों, शिक्षक-शिक्षिकाओं व अभिभावकों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि इस ज्ञान के मंदिर में फूलों व फलों के पौधों से प्रेरणा की खुशबू महक रही है। विद्यालय की ऊसर भूमि को उपजाऊ बना कर दुर्लभ औषधीय वाटिका बनाई गई है। यहां हरियाली लोगों का मन मोह रही है।
आपको बता दें कि, यूपी के रायबरेली में महराजगंज नगर से लगभग 600 मीटर दूर हैदरगढ़ जाने वाली रोड पर महावीर स्टडी इस्टेट सीनियर सेकेंडरी कॉलेज स्थित है। इस विद्यालय में अनेक प्रजातियों के औषधीय पेड़ पौधे लगाए गए हैं।
विद्यालय परिसर में बनाई गई क्यारीनुमा नर्सरी में हर्बल पौधे भी तैयार किए गए हैं। विद्यालय के प्रधानाचार्य कमल बाजपेई प्रतिदिन बच्चों को पौधों के पास ले जाकर औषधीय पौधों के प्रति जानकारी बढ़ाते रहते हैं। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी विद्यालय परिसर महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। इसे और बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा हैं।
महावीर स्टडी इस्टेट सीनियर सेकेंडरी कॉलेज परिसर में बनाई गई वाटिका में लगे पुष्पीय व सजावटी पौधों में चमेली, चांदनी, बोगन बेलिया, छोटी चांदनी, गुलदावरी, चंपा, बेला, बाटल ब्रश, विभिन्न प्रकार के गुड़हल, मोरपंखी, सिल्वर प्लांट, गेंदा, मिनी गोल्ड मोहर आदि पौधे शामिल है।
प्रधानाचार्य कमल वाजपेई ने बताया कि, यह सफलता विद्यालय परिवार के संकल्प से मिली है। ऊसर भूमि को उपजाऊ बनाकर परिसर को हरा भरा रखने के लिए जो संकल्प लिया गया था, आज वह पूरा होते दिख रहा है। उन्होंने बताया कि, विद्यालय के प्रबंधक अवधेश बहादुर सिंह ने स्वयं से यहां पौधे लगाना शुरू किया। रंग-बिरंगे फूलों के पौधे लोगों को आकर्षित करने लगे, तो विद्यालय परिवार के अन्य लोग भी विद्यालय प्रबंधक के इस अभियान से जुड़ गए। अब यहां हर वर्ष विद्यालय के शिक्षक और बच्चों द्वारा पौधारोपण किया जाता है। यहां तक की लगभग 50 से अधिक अधिकारियों ने भी विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए हैं। उन्होंने बताया कि, यहां सभी पौधों की नियमित देखभाल की जाती है। समय से उनमें पानी दिया जाता है, साथ ही जरूरत के अनुसार जैविक खाद्य का भी प्रयोग किया जाता है।
विद्यालय परिसर में दुलर्भ औषधीय पौधा मौजूद: प्रबंधक अवधेश बहादुर सिंह ने बताया कि, आयुर्वेद की दृष्टि से दुर्लभ औषधीय पौधों आंवला, नीम, बेल, जामुन, गूलर, एलोवेरा, पथरचट्टा, सेमर, तुलसी, चिरैता, मीठा नीम, सेवड़ा, सतावर, तुलसी, पुदीना, अश्वगंधा, मेहंदी, गुलाब, अजूबा, छुईमुई, अपराजिता बैलाडोना, लेमनग्रास, चंदन, हल्दी सहित अन्य पौधे लगाए गए हैं। वहीं छायादार पौधों में पीपल बरगद, अशोक, गोल्ड मोहर, मौलश्री आदि के पौधे विद्यालय परिसर में मौजूद हैं।
उन्होंने बताया कि, विद्यालय परिसर में सेब, काजू व रुद्राक्ष के पौधे स्थापित हैं। वाटिका में काजू, सेब और रुद्राक्ष, नारियल जैसे पौधे भी मौजूद हैं। इसके अलावा अनार, लीची, अमरूद, आंवला, नींबू के पौधे हैं। वाटिका में अमरूद के कई प्रजाति के पौधे लगे हैं। इनमें फल भी आ चुके हैं। सेब व लीची के पौधे छोटे हैं। वाटिका के पौधे हर किसी को आकर्षित करते हैं।