
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार नवरात्र पर्व के आखिरी दो दिन का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसा इसलिए है कि, मां दुर्गा ने अष्टमी तिथि को चंड-मुंड तो नवमी को महिषासुर का वध करके उसके अत्याचार से धरा को मुक्त कराया।
आपको बता दें कि, आचार्य अजय शुक्ल उर्फ जीउत बाबा ने कहा कि, नवरात्र पर्व के दौरान अगर आप नौ दिन व्रत नही कर पाएं हैं तो अष्टमी तिथि और नवमी को व्रत रखकर माता रानी की पूजा कर सकते हैं। इन दो दिन व्रत रखने से नौ दिन के बराबर फल प्राप्त होता है।
आचार्य ने बताया कि, इस शारदीय नवरात्र में दुर्गा अष्टमी 22 अक्टूबर व महानवमी 23 अक्टूबर को है। आठवें दिन मां महागौरी की पूजा अर्चना को समर्पित है। 22 अक्टूबर को सुबह का शुभ मुहूर्त 7-51से सुबह 10-41तक, दोपहर का 1-30से दोपहर 2-55 तक शाम का मुहूर्त 5-45 से रात 8-55तक व संधि पूजा अर्चना करने का मुहूर्त रात 7-35 से रात 8-22 तक है। इस दिन माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे पहले ब्रम्ह मुहूर्त में स्नानादि कर पवित्र होकर लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें उसके बाद चौकी पर सफेद आसन बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र को रखकर उसकी स्थापना करें। इसके बाद पुष्प लेकर मां का ध्यान करें। मां की प्रतिमा के आगे दीपक जलाएं और उन्हें नैवेद्य, फल, फूल आदि अर्पित कर देवी महागौरी की आरती उतारें।
मां गौरी का ध्यान अगर कोई भी व्यक्ति पूरे मनोयोग से निःस्वार्थ भाव से करता है तो वह बहुत ही शीध्र प्रसन्न होकर उसके सारे कष्टों को दूर कर उसका जीवन सुखमय बना देती हैं, उस पर कभी भी विपत्ति का साया भी नही पड़ता है।