
रजनीकांत अवस्थी
महराजगंज/रायबरेली: महावीर स्टडी इस्टेट महराजगंज में महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर माल्यार्पण कर जयंती मनाई गई।
आपको बता दें कि, प्रधानाचार्य कमल बाजपेई ने महर्षि वाल्मीकि के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए बच्चों को बताया कि, प्राचीन काल से ही भारत में योगी तथा ज्ञानी ऋषि-मुनियों का डेरा रहा है। महापुरुषों ने अपने ज्ञान तथा विद्या से लोगों में संस्कृति को जीवित रखा जो आज भी समाज में अलौकिक स्थान प्राप्त करता है। महर्षि बनने से पूर्व इनका नाम रत्नाकर था इनका जन्म तो ऋषि कुल में हुआ था बाल्यावस्था में एक भीलनी उन्हें उठा ले गई, अतः इनका पालन-पोषण जंगल में रहने वाली जाति में हुआ यह अपने परिवार के पालन पोषण हेतु लोगों को लूटते थे।
एक बार नारद मुनि जंगल में मिले इन्हें रत्नाकर ने बंदी बनाया नारद जी ने पूछा कि यह पाप कर्म आप करते हो क्या इसमें आपका परिवार भी भागीदार है, परिवार के पाप कर्म में भागीदार ना होने से इन्हें अपने किए पर पछतावा हुआ तथा इन्होंने ईश्वर भक्ति करने का मन बनाया घोर तप किया इनके शरीर में दीमक ने वादी बना ली जिससे इनका नाम बाल्मीकि पड़ा ईश्वर की प्रेरणा से इन्होंने भगवान राम के चरित्र को रामायण महाकाव्य संस्कृत में रचना की इन्हे संस्कृति के प्रथम श्लोक निर्माता भी कहा जाता है इन्होंने मर्यादा सत्य प्रेम मातृत्व मित्रता राजा प्रजा के कर्तव्य तथा सेवक धर्म की रामायण में बहुत सुंदर रचना की हम सभी को रामायण के आदर्शों को आत्मसात करके तब अनुकूल आचरण करना चाहिए इस मौके पर राजीव मिश्रा सौरभ आदि बालक बालिका व शिक्षक शिक्षिका मौजूद रहे।