
रजनीकांत अवस्थी
महराजगंज/रायबरेली: क्षेत्र के गांव पारा कला में गौरी शंकर धाम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास अनंतश्री विभूषित नारायण स्वामीजी महाराज नैमिषारण्य धाम ने विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया और भगवान श्री कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने सुभद्रा हरण का आख्यान एवं सुदामा चरित्र का वर्णन किया।
आपको बता दें कि, स्वामी जी महाराज ने कहा- मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण और सुदामा जी की मित्रता से समझ सकते हैं। सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे तथा द्वारकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया, तब उन्होंने कहा कि, वह द्वारिकाधीश के मित्र हैं।
इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि, कोई उनसे मिलने आया है, तथा अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही यह बात भगवान श्री कृष्ण ने सुनी प्रभु सुदामा-सुदामा-सुदामा कहते हुए तेजी से दरवाजे की तरफ नंगे पांव दौड़ते हुए चले गए और पहुंचते ही सुदामा को सीने से लगा लिया और अंदर ले जाकर द्वारकाधीश ने अपने सिंहासन पर बैठकर उनका यथोचित अभिवादन सत्कार किया और उन पर सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
अगले प्रसंग में सुखदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई, जिससे उनके मन से मृत्यु का भय निकल गया, तथा तक्षक नाग आता है, और राजा परीक्षित को डस लेता है। राजा परीक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते हैं। इसी के साथ श्री श्रीमद्भागवत कथा का विराम हुआ। अगली कड़ी में भागवत जी की आरती के तत्पश्चात श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
इस मौके पर आयोजक पंडित चंद्रिका प्रसाद शास्त्री, लल्लन पांडेय, राम बिहारी, श्रीराम पांडेय, पप्पू पांडेय, रामू, संजय, धीरज, धनंजय, विनय, पंकज, सचिन, सौरभ, अतुल, विवेक सहित भारी तादाद में श्रोता मौजूद रहे।