
रजनीकांत अवस्थी
रायबरेली: जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने कहा कि, पराली जलाने पर सम्बन्धित के विरूद्ध नियमानुसार कड़ी कार्यवाही प्रत्येक दशा में सुनिश्चित की जायेगी। उन्होंने कहा कि, पराली जलाये जाने की घटना का संज्ञान अवश्य लिया जायेगा। कोई भी इस भ्रम में न रहे कि, उसके विरूद्ध इस सम्बन्ध में कड़ी कार्यवाही नहीं की जायेगी। उन्होंने यह भी कहा कि, जिन क्षेत्रों में पराली जलाये जाने की घटना पाई जायेगी, उस क्षेत्र के सम्बन्धित अधिकारियों का भी उत्तरदायित्व निर्धारित किया जायेगा।
आपको बता दें कि, जिलाधिकारी हर्षिता माथुर द्वारा इस सम्बन्ध में जनपद स्तर पर अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) अध्यक्षता में एक सेल का गठन किया गया है। इस सेल में अपर पुलिस अधीक्षक-सदस्य, उप कृषि निदेशक-सदस्य, जिला कृषि अधिकारी-सदस्य/सचिव, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला पंचायत राज अधिकारी, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी को सदस्य नामित किया गया है। इसी प्रकार तहसील स्तर सचल दस्तों का गठन किया गया है, जिसमें समस्त उपजिलाधिकारी, क्षेत्राधिकारी सहित कृषि विभाग के अधिकारी व अन्य अधिकारियों को नामित किया गया है तथा विकास खण्ड स्तर पर पराली (धान का पुआल/अन्य कृषि अपशिष्टों) के जलाने जाने के कारण होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु जनपद में विकास खण्डवार उड़नदस्तों का गठन किया गया है।
जिलाधिकारी ने तहसील स्तर पर गठित सचल दस्तों व गठित उड़नदस्ते को इस निर्देश के साथ कि, किसी भी स्थिति में धान की पराली एवं अन्य कृषि अपशिष्ठ न जलाये जाये। इस हेतु समस्त लेखपाल एवं ग्राम प्रधानों को सम्मिलित करते हुए एक व्हाट्सप एप ग्रुप बनाया जाये। इसी ग्रुप पर पराली/कृषि अपशिष्ट जलाये जाने की घटना यदि कोई हो जाये, तो सूचना तत्काल सचल दस्ते को दी जायेगी। पराली/कृषि अपशिष्ठ जलाये जाने की घटना पाये जाने पर सम्बन्धित वर्ग दण्डित करने के सम्बन्ध में राजस्व अनुभाग-10 के शासनादेश संख्या 1618/1-9-2017 10-3 दिनांक 13 नवम्बर 2017 के द्वारा क्षतिपूर्ति की वसूली तथा पुनरावृत्ति होने पर सम्बंधित के विरूद्ध अर्थदण्ड लगाये जाने के सम्बन्ध में कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने कहा कि, तहसील स्तर पर गठित सचल दस्ता का यह दायित्व होगा कि, धान कटने के समय से लेकर रवि में गेहूं की बुआई तक प्रतिदिन फसल अवशेष जलाने एवं इसकी रोकथाम के लिए की गयी कार्यवाही की सतत निगरानी एवं अनुश्रवण करते हुए प्रत्येक कार्य दिवस की सूचना अनिवार्य रूप से जनपद स्तर पर गठित सेल को देंगे। इसके उपरान्त भी कृषि अवशेष जलाये जाने की घटना प्रकाश में आने पर सूचना तहसील स्तर पर गठित सचल दस्तों को सूचित न करने पर संबंधित लेखपाल उत्तरदायी होगे। सहायक विकास अधिकारी (कृषि)/विषय वस्तु विशेषज्ञ एवं उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी क्षेत्रीय कर्मचारियों के माध्यम से इन सीटू मैनेजमेंट हेतु नियमानुसार अनुमन्य कृषि यंत्रों का प्रचार-प्रसार एवं यंत्रों के माध्यम से फसल अवशेष प्रबंधन करने हेतु जन जागरण अभियान के माध्यम से फसल अवशेष न जलाये जाने एवं फसल अवशेष जलाए जाने के दुष्परिणामों से सचेत करते हुए कृपकों को प्रेरित करेंगें, एवं किसानपाठशाला के माध्यम से भी जनजागरूकता की जायेगी। जिला कृषि अधिकारी द्वारा फसल अवशेष जलाने की घटनाओं एवं इसकी रोकथाम की रिपोर्ट अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) के माध्यम से अधोहस्ताक्षरी द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा गठित समिति को भेजी जायेगी। निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाये।
विकासखण्ड स्तर पर भी गठित उड़नदस्ते का यह दायित्व होगा कि, धान फसल कटाई के समय से लेकर रबी में गेहूँ बुवाई तक प्रतिदिन फसल अवशेष जलाने की घटनाओं एवं इसकी रोकथाम के लिए की गयी कार्यवाही की सतत् निगरानी एवं अनुश्रवण करते हुए प्रत्येक दिवस की सूचना अनिवार्य रूप से तहसील स्तर पर गठित दस्तें के माध्यम से जनपद स्तर पर गठित सेल को उपलब्ध करायें। प्रत्येक गांव के ग्राम प्रधान एवं क्षेत्रीय लेखपाल को यह निर्देशित किया जाये कि, किसी भी दशा में अपने से संबंधित क्षेत्र में पराली कृषि अपशिष्टं न जलाने दिया जाये। कृषि अवशेष जलाने की घटना प्रकाश में आने पर सम्बन्धित लेखपाल व अन्य नामित कार्मिक जिम्मेदार होंगे। वरित प्राविधिक सहायक ग्रुप-बी इन सीटू मैनेजमेंट हेतु नियमानुसार अनुमन्य कृषि यंत्रों का प्रचार-प्रसार एवं उपलब्ध इन सीटू यंत्रों के माध्यम से फसल अवशेष प्रबंधन कराना सुनिश्चित करेगे साथ ही जनजागरण अभियान के माध्यम से फसल अवशेष न जलाये जाने एवं फसल अवशेष जलाने के दुष्परिणामों से सचेत करते हुए कृषकों को प्रेरित करेंगे।