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महराजगंज/रायबरेली: चंद्रयान-3 की सफलता से देश का कद बढ़ गया है। इसरो का सम्मान बढ़ा है। लोग गर्व महसूस कर रहे हैं। राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह समेत जनप्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों आदि चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग पर इसरो समेत वैज्ञानिकों को बधाई दी हैं। लेकिन इससे फायदा क्या। ये तो सिर्फ फीलिंग वाली बात हो गई। इस सफलता से देश, इसरो और आम लोगों को क्या फायदा। उन लोगों को क्या लाभ जो रोजमर्रा मेहनत करते हैं। दो जून की रोटी के लिए दिनभर खून-पसीना एक करते हैं।
आपको बता दें कि, 14 जुलाई 2023 को देश के सबसे भारी रॉकेट LVM3 से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया। करीब 42 दिन की यात्रा करके उसने चांद की सतह पर लैंडिंग कर दी है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद वह क्या काम करेगा?
विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे?
1- रंभा (RAMBHA)… यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा।
2- चास्टे (ChaSTE)… यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा।
3- इल्सा (ILSA)… यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा।
4- लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) … यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा।
1- लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope – LIBS), यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा। साथ ही खनिजों की खोज करेगा।
2- अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer – APXS)- यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा। जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा। इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी।
वैज्ञानिकों के लिए क्या है फायदा…: कुल मिलाकर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर मिलकर चांद के वायुमंडल, सतह, रसायन, भूकंप, खनिज आदि की जांच करेंगे। इससे इसरो समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों को भविष्य की स्टडी के लिए जानकारी मिलेगी। रिसर्च करने में आसानी होगी। ये तो हो गई वैज्ञानिकों के लिए फायदे की बात।
देश को क्या फायदा होगा: भारत दुनिया का चौथा देश है, जिसने यह सफलता हासिल की है। इससे पहले यह कीर्तिमान अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ) और चीन ने स्थापित किया था।
ISRO को क्या फायदा होगा: इसरो दुनिया में अपने किफायती कॉमर्शियल लॉन्चिंग के लिए जाना जाता है। अब तक 34 देशों के 424 विदेशी सैटेलाइट्स को छोड़ चुका है। 104 सैटेलाइट एकसाथ छोड़ चुका है। वह भी एक ही रॉकेट से। चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी खोजा। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आज भी काम कर रहा है। उसी ने चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग साइट खोजी। मंगलयान का परचम तो पूरी दुनिया देख चुकी है। चंद्रयान-3 की सफलता इसरो का नाम दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेसियों में शामिल कर देगी।
आम आदमी को होगा ये फायदा: चंद्रयान और मंगलयान जैसे स्पेसक्राफ्ट्स में लगे पेलोड्स यानी यंत्रों का इस्तेमाल बाद में मौसम और संचार संबंधी सैटेलाइट्स में होता है। रक्षा संबंधी सैटेलाइट्स में होता है। नक्शा बनाने वाले सैटेलाइट्स में होता है। इन यंत्रों से देश में मौजूद लोगों की भलाई का काम होता है। संचार व्यवस्थाएं विकसित करने में मदद मिलती है। निगरानी आसान हो जाती है।
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद यहां रायबरेली के पंचवटी परिवार में जश्न का माहौल देखने को मिला। राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह समेत पांचो भाइयों ने इसरो सहित सभी वैज्ञानिकों को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की लिए बधाई दी है। राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि, पूरा देश आज भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की इस गौरवशाली यात्रा पर गर्व महसूस कर रहा है।
इसके अलावा भाजपा राष्ट्रीय परिषद सदस्य व पूर्व एमएलसी राजा राकेश प्रताप सिंह, पूर्व विधायक राजाराम त्यागी, पूर्व विधायक रामलाल अकेला, पूर्व ब्लाक प्रमुख सत्येंद्र प्रताप सिंह, भाजपा नेता प्रभात साहू, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतिनिधि शिवम तिवारी, भाजपा जिला उपाध्यक्ष जन्मेजय सिंह, प्रधान संघ अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह उर्फ दद्दू, सिंह ट्रेडर्स के प्रोपराइटर राजकुमार सिंह उर्फ मोगा, शैलेंद्र प्रताप सिंह उर्फ सिंपल एडवोकेट, सामाजिक कार्यकर्ता श्रीकांत त्रिपाठी, प्रेस क्लब संरक्षक सुभाष पांडेय, संरक्षक अजय श्रीवास्तव, प्रेस क्लब अध्यक्ष मुकेश श्रीवास्तव, शैलेंद्र प्रताप साहू उर्फ़ राहुल, पोखरनी प्रधान प्रतिनिधि बबलू शुक्ला, महराजगंज मंडल अध्यक्ष सूर्य प्रकाश वर्मा, महावीर स्टडी इस्टेट सीनियर सेकेंडरी कॉलेज के प्रधानाचार्य कमल बाजपेई, बछरावां के अग्रणी व्यवसाय शशिकांत मिश्रा, भाजपा नेता पवन साहू आदि ने इसरो समेत समस्त वैज्ञानिकों को चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग की अभूतपूर्व कामयाबी पर बधाई दी है।