
रजनीकांत अवस्थी
सरेनी/रायबरेली: कहावत है कि, “नीम हकीम खतरे में जान”, यह कहावत सही चरितार्थ हुई सरेनी थाना क्षेत्र के गांव छिवलहा में। जबकि एक मेडिकल स्टोर चलाने वाले व्यक्ति ने फोड़ा फुंसी की दवा कराने आए एक व्यक्ति को प्रतिबंध इंजेक्शन लगा दिया, नतीजा यह रहा कि, मर्ज तो ठीक होना दूर मरीज ही दुनिया से उठ गया। मामले में परिवार हैरान हताश है, मृतक के परिवार में बूढ़े मां बाप के अलावा पत्नी और दो बेटियां तथा एक बेटा (नाबालिक) बचे हैं, जिनके भरण पोषण करने का एकमात्र सहारा मृतक ही था। मामले में कानूनी जानकारी न होने के कारण पीड़ित परिवार ना तो पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा पाया, और ना ही शव का पोस्टमार्टम हो सका। पूरे क्षेत्र में इस घटना को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। पीड़ित परिवार ने प्रदेश के न्याय प्रिय मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से गुहार लगाई है कि, मामले की जांच करा कर दोषियों को सजा दिलाई जाए, तथा पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद की जाए।
आपको बता दें कि, घटना 12 अगस्त 2023 शाम लगभग 8:00 बजे की है। जबकि गांव निवासी अजय कुमार उर्फ नीरज उम्र 40 वर्ष पुत्र बैजनाथ जो पेसे से एक प्राइवेट स्कूल में अध्यापन का कार्य करते थे। इसी से उनकी रोजी-रोटी चलती थी।
बताते हैं कि, मृतक के शरीर पर कुछ फुंसियां हो गई थी जिसके लिए 12 अगस्त को वह भूपगंज मजरे छिवलहा गांव स्थित एक मेडिकल स्टोर पर पहुंच गया, जहां पर मौजूद मेडिकल स्टोर संचालक ने कहा कि, टेबलेट देने से काम नहीं चलेगा, इंजेक्शन ही लगा देते हैं, दो-तीन दिन में फुंसियां ठीक हो जाएंगी। यह कहते हुए उसने (आरोप है की) प्रतिबंधित इंजेक्शन लगा दिया।
गौरतलब है कि, सरकारी नियमानुसार प्रत्येक मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट की डिग्री धारक व्यक्ति का होना आवश्यक है। किंतु इस मेडिकल स्टोर पर न तो फार्मासिस्ट है और ना ही दुकान संचालक को दावों के बारे में कोई वैद्य जानकारी ही है।
उधर इंजेक्शन लगवाने के बाद जब अजय कुमार उर्फ नीरज अपने आप को असहज महसूस किया तो वह लड़खड़ाते हुए अपने घर पहुंचा और घरवालों से आपबीती बताई। आनन-फानन उसे एक चार पहिया वाहन से परिवार के लोग लेकर रायबरेली शहर के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि, गलत इंजेक्शन लगा देने से इसकी हालत बिगड़ी है। डॉक्टरों ने लाख प्रयास किया, किंतु अजय कुमार ने 3 घंटे के भीतर ही दम तोड़ दिया। अचानक हुई इस घटना से परिवार में कोहराम मच गया।
आपको यह भी बता दें कि, अजय कुमार उर्फ नीरज के परिवार में बूढ़े मां बाप के अलावा उनकी पत्नी दो बेटियां और एक बेटा है जो अभी नाबालिक है। परिवार में निर्णय लेने वाला कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं है। परिजनों ने आखिरकार 13 अगस्त 2023 को बगैर पुलिस को सूचना दिए शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया।
परिजनों का मेडिकल संचालक के बारे में आरोप है कि, उसके इलाज से इससे पहले भी एक महिला और दो अन्य लोगों की भी मौत हो चुकी है। इसके अलावा एक पुलिस इंस्पेक्टर जिसका इलाज भी इसी मेडिकल संचालक के द्वारा किया गया और हालत गंभीर होने पर 2 माह से रायबरेली के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। भुक्तभोगी परिवार ने उत्तर प्रदेश के न्याय प्रिय मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से गुहार लगाई है कि, पूरे प्रकरण की निष्पक्ष ढंग से जांच कर मेडिकल स्टोर संचालक को जेल भेजा जाए तथा अनाथ हुए परिवार की आर्थिक मदद कराई जाए।