
सार……..
⭕ जिला कारागार में 138 कैदियों ने भी खाई दवा।
⭕ फाइलेरिया से बचने का एकमात्र उपाय-तीन साल लगातार, साल में एक बार जरूर खाएं दवा।
विस्तार…….
रायबरेली: राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलाया जा रहा है। 10 अगस्त से शुरू हुआ यह अभियान 28 अगस्त तक चलेगा। इसके तहत फ़ाइलेरियारोधी दवा का सेवन लोगों को कराया जा रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 वीरेंद्र सिंह ने फाइलेरिया से बचाव की दवाओं का सेवन किया।
आपको बता दें कि, दवा सेवन के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जनपदवासियों से अपील की है कि, स्वास्थ्य कार्यकर्ता जब भी घर पर फाइलेरियारोधी दवा का सेवन कराएं, सेवन अवश्य करें। किसी भी प्रकार का बहाना न बनाएं। दवा पूरी तरह सुरक्षित है।
उन्होंने कहा कि, फाइलेरिया को हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है, जोकि मच्छर के काटने से होता है। यह बीमारी लाइलाज है। अगर हो गयी तो ठीक नहीं होती है, केवल इसका प्रबंधन ही किया जा सकता है। यह व्यक्ति को आजीवन दिव्यांग बना देती है। इस बीमारी का एक ही इलाज है वह है फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करना। इसलिए स्वयं भी दवा का सेवन करें और परिवार, आस पड़ोस के लोगों को दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित करें। फाइलेरिया से बचने के लिए पांच साल लगातार, साल में एक बार दवा का सेवन करना जरूरी है। यह दवा एक साल से काम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को खानी है। खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है।
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी डी.एस.अस्थाना ने भी फाइलेरियारोधी दवा का सेवन किया।
उन्होंने कहा कि, फाइलेरियारोधी दवा के सेवन से किसी- किसी व्यक्ति को जी मिचलाना, उल्टी और चक्कर आने की समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं। इसका तात्पर्य यह कि उस व्यक्ति में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। दवा सेवन से इन परजीवियों के मरने के कारण यह प्रतिक्रिया होती है। यह परेशानी कुछ समय में अपने आप ठीक हो जाती है।
इसी क्रम में शुक्रवार को जिला कारागार में 138 कैदियों ने भी फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया। जिला कारागार में सामूहिक दवा सेवन के दौरान सहायक मलेरिया अधिकारी अनिल क्रिस्टोफर मैसी, मलेरिया निरीक्षक चंदन दुबे, हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेज से प्रोफेसर नेहा शर्मा और छात्र राहुल, डरगी, सूरज और गार्गी त्यागी, डॉ राधाकृष्णन, एम्स ऋषिकेश से डॉ0 निसर्ग पीसीआई से अनुराधा चंद्रा रजत श्रीवास्तव स्वयंसेवी संस्था पाथ से डॉ0 पूजा, एम्स रायबरेली से असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अभय सिंह आदि उपस्थित रहे।