
शिवाकांत अवस्थी
रायबरेली: पत्रकारिता यानी सच बोलने और लिखने का बेहतरीन प्लेटफार्म है। पत्रकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का हो, प्रिंट मीडिया का हो, या फिर वेब मीडिया का हो! पत्रकार यानी सच को सामने लाने वाला, सच कहने वाला, सच लिखने वाला या फिर सच दिखाने वाला के लिए ना तो किसी डिग्री की ही जरूरत होती है, और ना ही यह जरूरी होता है कि, सच बोलने वाला सिर्फ पत्रकार हो, उसके पास बड़ी डिग्री हो, वह पत्रकारिता के अलावा कोई और काम ना करता हो, यह सब बकवास है।
आपको बता दें कि, सोशल मीडिया पर अक्सर यह मैसेज वायरल होता रहता है कि, पूड़ी बेचने वाला पत्रकार बन गया। दूध बेचने वाला पत्रकार बन गया। टेंपो चालक पत्रकार बन गया। पांचवी पास पत्रकार बन गया। ऐसे में हम यह सवाल उठाना चाहते हैं कि, अगर हमें किसी वास्तविक चोर को चोर कहना है, तो क्या हमें पहले सच बोलने के लिए किसी डिग्री की आवश्यकता होती है। क्या सच किसी डिग्री के बगैर बोलना अपराध की श्रेणी में आएगा। नहीं! बिल्कुल नहीं! सच कोई भी लिख सकता है, बोल सकता है, दिखा सकता है, बशर्तें सच लिखने, बोलने, दिखाने का सलीका होना चाहिए जो मर्यादा के दायरे में हो।
आपको यह भी बता दें कि, सच सामने लाने के लिए माध्यम कोई भी हो, बस किसी की मर्यादा धूमिल ना हो। पत्रकारिता यही सिखाती है कि, बिना डरे, बिना रुके, बिना थके, सच लिखो! सच बोलो! लेकिन मर्यादा के दायरे में। इसलिए मेरा यह मानना है कि, सच बोलने के लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं होती, बल्कि जज्बा होना चाहिए।