
बाराबंकी में इंसाफ का सितारा “खान ज़ीशान मसूद” जिसने अदालत की मर्यादा का अपमान करने वाले इंस्पेक्टर और नायब तहसीलदार को जेल भेजने और जुर्माना लगाने का आदेश देकर हड़कंप मचा दिया है, वकीलो ने शेरदिल का खिताब दिया है,सोशल मीडिया चर्चाओं से भरा है, एडीजे ने 6 बजे शाम स्टे किया, वकीलो के लिए नई नज़ीर बन गई।
आपको बता दें कि, बाराबंकी-ज़िले में औकाफ ग्राम समाज कब्रिस्तान कर्बला नजूल की ज़मीन के साथ आम लोगो की जमीनों पर कब्ज़ा मुसलसल जारी है, और ये सब होता है प्रशासन के रिश्वत खोर बेईमान सरकार की नीतियों को पामाल करने वाले अधिकारियों और पुलिस कर्मियों की भु माफियाओ के काकस की मिली भगत से।अदालत के आदेश को खेल तमाशा समझने वाले पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को मजिस्ट्रेट खान ज़ीशान मसूद ने अदालत का इक़बाल ऐसा समझाया कि, वह बाराबंकी के इतिहास में चर्चा का सबब बन गया, वकीलो ने इस मामले में नारे लगाकर इस्तेकबाल किया, वहीं अधिकारी लीपा पोती और खुशामद में लगे दिखे, अदालत के इस फैसले पर आज बाराबंकी दीवानी समेत हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी चर्चा रही, एक इंसाफ करने वाले पाने वाले सबकी आंख में चमक और चेहरे पर खुशी दिखाई पड़ी। वो अलग बात है कि, प्रशासन से ताल मेल रखने वाले कुछ ज्यूडिशियल अधिकारियो की मोहब्बत जागी और शाम 6 बजे आदेश पर स्टे कर अगली तारीख 28 लगा दी।
बाराबंकी की सिविल जज कोर्ट नंबर 13 के मजिस्ट्रेट मोहतरम जीशान खान ने वाद मोहम्मद आलम बनाम मुबीन रेगुलर सूट नंबर 224/2021 के प्रकरण में कंटेंप्ट में कन्टेम्ट आफ कोर्ट मानते हुए नायब तहसीलदार केशव कुमार व शहर कोतवाल अमर सिंह को कस्टडी में ले लिया, पूरी अदालत में हड़कंप मच गया। विद्वान अधिवक्ताओं के वर्ग में उत्साह और खुशी की लहर दौड़ गयी, अदालत में भारी भीड़ लग गयी, जिला प्रशासन के कई अधिकारी लीपा पोती में लगे रहे, कचेहरी परिसर में मौजूद लंच से पहले नायब तहसीलदार केशव और इंस्पेक्टर अमर सिंह को कस्टडी में ले लिया, और लंच के बाद फैसला सुना दिया। नायब तहदीलदार को 30 दिन और कोतवाल अमर सिंह को 3 दिन के लिये जेल भेज दिया, इन लोगो पर 120 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
मालूम हो कि, खान ज़ीशान मसूद का अम्बेडकर नगर की सरज़मी पर 15 जुलाई 1986 में मसूद अहमद साहब के पुत्र के रूप में इस दुनिया में अवतार हुआ था। 2002 में हाइ स्कूल,2004 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद एलएलबी 2012 कंप्लीट की थी, इसके बाद जमकर मेहनत का नतीजा ये रहा कि, 2018 में जूनियर डिवीज़न के सिविल जज के रूप में सुल्तानपुर में नियुक्ति हुई। 4 अगस्त से 9 जुलाई 21 तक रामसनेहीघाट बाराबंकी में रहे तथा 9 जुलाई 2021 से जूनियर डिवीज़न बाराबंकी कोर्ट में है। आज इस फैसले से अदालत की मान मर्यादा का अपमान करने वालो को एक बड़ा झटका देकर ऐसा सबक दिया, जो हमेशा चर्चा में रहेगा।
वही आज एक नई नज़ीर बनी अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम द्वारा उपरोक्त मामले की अपील 6 बजे स्वीकार करते हुए न्यायालय संख्या 13 के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई के लिए 28 तारीख मुकर्रर कर दी। वहीं एडवोकेट सुरेश चंद्र गौतम ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर जीशान साहब का आज का आर्डर डाला जो पूरी जुडिशली के लिये नजीर है कि, अगर न्यायपालिका चाह जाए तो उनके लिये कुछ भी इंपासिबल नही है।
वहीं पुनीत मिश्रा ने कहा कि, उन्होंने सन 2000 से वकालत शुरू की थी, उनके 21 साल के इस सफर में उन्होंने कई उतार चढ़ाव देखे, लेकिन आज जो कुछ भी देखा वह ऐतिहासि तथा आज न्यायाधीश के रूप में एक देवता खान जीशान मसूद साहब को देखा, और पता चला कि एक न्यायाधीश के न्याय की पराकाष्ठा क्या होती है। उनके द्वारा निर्णय के समय सामान्य अधिवक्ताओं के चेहरे की चमक उठे और जोश बता रहा था कि, आज न्याय की गरिमा कितनी बढ़ी है, साथ ही यह पाया गया की वकीलों का वर्तमान नेतृत्व कही उहापोह में है और कुछ पूर्व पदाधिकारी साथ खड़े भी है, शाम होते होते एक अन्य न्यायाधीश महोदय द्वारा निर्णय पर स्थगन आदेश जारी किए गए, लेकिन इससे अधिवक्ता वर्ग को हतोत्साहित नही होना चाहिए, बल्की इस तरह अपील लेने और स्टे ऑर्डर को नजीर बना कर यह प्रबल तरीके से पेश किया जाना चाहिए कि, एक आम आदमी को भी इसी तरह शाम 6बजे जरूरत होने पर सुना जाए। जब आप और मैं सामूहिक रूप से प्रयास करेंगे तो या तो हर समय सबको न्याय मिलेगा, या विशेष लोग भी इससे वंचित होंगे। सामूहिक रूप से संगठित होकर इस इतिहास को धूमिल न होने दे, एक बार फिर खान जीशान मसूद साहब को साधुवाद।
सैयद तनवीर अहमद एडवोकेट ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए शेरदिल के खिताब से नवाज़ते हुए कहा कि, बार मे होना चाहिये इस हस्ती का सम्मान।