
शिवाकांत अवस्थी
महराजगंज/रायबरेली: पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर आज क्षेत्र के पूरासी गांव स्थित गुरुकुल पब्लिक स्कूल में धूम धाम से शिक्षक दिवस के रूप में मनाई गया। छात्र छात्राओं ने अपने गुरुजनों को सम्मान एवं बधाइयां दी, और आशीर्वाद प्राप्त किया।
आपको बता दें कि, इस मौके पर विद्यालय की उपाध्यक्षा पूजा मिश्रा ने अध्यापकों को उपहार एवं शिक्षक दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि, हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई शख्स शिक्षक होता है। चाहे वह माता-पिता हो, या फिर अध्यापक, साथी अथवा और कोई हो। इन सभी के माध्यम से शिक्षा प्राप्त होती है, और कुछ न कुछ सीखने का मौका मिलता है। विद्यालय की उपाध्यक्षा श्रीमती मिश्रा ने कहा कि, कोविड-19 महामारी के दौरान पठन-पाठन में विद्यालय में बच्चों की शिक्षा व्हाट्सएप के माध्यम से ऑनलाइन मिलती रही है, जिससे कि, बच्चे का समय न बर्बाद हो और बच्चा अगली क्लास में प्रवेश कर सके। उन्होंने कहा कि, कोविड-19 के दौरान हमारे शिक्षकों ने साहसिक कार्य करते हुए पंचायत चुनाव संपन्न कराए, जिसको हम कभी भी भूल नहीं सकते हैं। इसके अलावा उपाध्यक्षा पूजा मिश्रा ने हाईस्कूल परीक्षा में सर्वोच्च अंक पाने वाले छात्रों को ₹1001 की चेक आशीर्वाद स्वरुप प्रदान की।
कार्यक्रम में मौजूद प्रिंसिपल बेबी सिंह ने छात्रों को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के महत्वपूर्ण जीवन कृतित्व से परिचय कराते हुए कहा कि, आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है। वे दर्शनशास्त्र का भी बहुत ज्ञान रखते थे, उन्होंने भारतीय दर्शनशास्त्र में पश्चिमी सोच की शुरुवात की थी। राधाकृष्णन प्रसिद्ध शिक्षक भी थे, यही वजह है, उनकी याद में हर वर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। बीसवीं सदी के विद्वानों में उनका नाम सबसे उपर है। वे पश्चिमी सभ्यता से अलग, हिंदुत्व को देश में फैलाना चाहते थे। राधाकृष्णन जी ने हिंदू धर्म को भारत और पश्चिम दोनों में फ़ैलाने का प्रयास किया, वे दोनों सभ्यताओं को मिलाना चाहते थे। उनका मानना था कि, शिक्षकों का दिमाग देश में सबसे अच्छा होना चाइये, क्यूंकि देश को बनाने में उन्हीं का सबसे बड़ा योगदान होता है।